शनिवार, 22 जुलाई 2017

साथ चलो साथी

            साथ चलो साथी

पागल व आवारा, तब से यह हो गया है
वह जब से चेहरा, य बेचारा देखा है।

गुजरे व दिन-रातें, तब तेरे ही याद में
दिवानों-सा बातें, अब व करता सपनों में।

तडपता है यह दिल, सदा व  मिलने के लिए
बन गया है मंजिल, व तुझे पाने के लिए।

बन गया अंजाना, तेरी ही अनुराग में
तुझको ही पाना, अभी अपने जीवन में।

है मधु की गंगा, वही अंग-अंग तेरा
अब सपनों में जगा, रातभर नयन मेरा।

जग को भूलता है, यह उसकी हर चाह में
वह चली आती है, हर दिन की व  ख्वाबों में।

यह धडकन मेरा, व तेरी साँसों में है
साथ रहे तेरा, अब यहीं सात जन्म है।

य तितली जैसा मन, तुझे ढूंढने आए
कली जैसा वह तन, अभी नाहि व सुक जाए।

      लालसाब हुस्मान पेंडारी
      उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
      नागरमुन्नोली, ता:- चिक्कोड़ी
      जिला:- बेलगावी                              
      कर्नाटक-५९१२२२.
      मो. नं:- ९७४३८६७२९८
      इमेल: lalasabpendari@gmail.com

मेरा देश मेरा कोष

       मेरा देश मेरा कोष

है मेरा देश मेरा कोष

बहुत ही अजूबा उसका वेश
महात्माओं से जवान हुआ मेरा देश

अब सब में हो जाता है समावेश ।।१।।

सब को सुनाता धर्मोपदेश

कभी किसीको न करता परदेश
वह सदैव भेजता शुभ सन्देश

है स्वदेश-मेरा सत्योपदेश ।।२।।

कभी न माँगता वह लाभांश

सदा व चाहता उत्तमांश
न व रहने देता खामोश

सदा कहता रहो संयोगवश ।।३।।

कितना मनमोहक है उसका प्रकाश

उतना ही खुबसुरत है पृथ्वी की स्पर्श
कभी न व किया किसिका सत्यानाश

सदैव दिलचस्प है उसके आदर्श ।।४।।

चलते रहता वह प्रसंगवश

आज-कल बहुत पालिया यश पे यश
कितने प्यारे है उसके उद्धेश भरित आदेश

 हमेशा खुश रहेगा, मेरा देश मेरा कोष ।।५।।


     लालसाब हुस्मान पेंडारी

     उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
     नागरमुन्नोली, ता:- चिक्कोड़ी

     जिला:- बेलगावी, कर्नाटक-५९१२२२.
     मो. नं.:- ९७४३८६७२८७

     ईमेल:- lalasabpendari@gmail.com

अंधेरा मन

         अंधेरा मन

मैंने इस दुनिया में जो पाया था
वह सब कुछ खो दिया
लगता है, भगवान ने जो दिया था
सिर्फ वहीं एक बाकि रह गया ।।१।।

लेकिन वह भी आज धीरे-धीरे चला जा रहा है
किसीने मेरे मोहब्बत भरें मन को चुराया
तो, किसने मेरे दौलत भरें ईमान को
कोई चाहता है, तो वही कोई ठुकराता है ।।२।।

यहाँ आँसुओं का भी कर्ज चुकाना पड़ता है
धड़कन को भी किसी के हवाले करना पड़ता है
मन करता है, यहीं पे गिर के कह दूँ भगवान से
लेकिन मेरी जान किसी और की शान बन गई है  ।।३।।

पाना है मुझको यहाँ जो कुछ
खो दिया था वह सब कुछ
लेकिन क्या करूँ अब ना मेरी जुबान कुछ
कहती है, ना ही हासिल करती है और कुछ ।।४।।


आँख जिधर मुड़ती है उधर मन
ना कुछ दिखता, ना ही कुछ हाथ लगता
चलता रहता-चलता रहता जो कुछ जहाँ खोया
सब कुछ वहाँ पाने के लिए ।।५।।

     लालसाब हुस्मान पेंडारी
     उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
     नागरमुन्नोली, ता:- चिक्कोड़ी
     जिला:- बेलगावी, कर्नाटक-५९१२२२.
     मो. नं.:- ९७४३८६७२८७
     ईमेल:- lalasabpendari@gmail.com

महाज्ञानी का मार्गदर्शन

           महाज्ञानी का मार्गदर्शन

आपसे मिलकर ऐसे लग रहा है, जैसे कि
सारे संसार का ज्ञान हमसे सम्मिलित हो रहा है
डी. आर. शाहजी आप आधार हो, मार्गदर्शन का
सब बच्चों को मिले-ज्ञान, महाज्ञानी का ।।१।।

प्रेम-वात्सल्य रस का संगम
है, आप के विद्यालय का नियम
यह विद्यालय बच्चों के प्यासे मन में
यूँ उतरा है, ज्यूँ झरना रेत में ।।२।।

प्रत्येक विद्यार्थी में कौशल जगाकर
उनमें से अच्छे ज्ञान को बढ़ाकर
यहाँ के गुरु-गोविंद अद्यापक गण
अपना ज्ञान अध्येता को करें समर्पण ।।३।।

आप के संस्था में पढ़ने के लिए
हर बच्चा तरसा करता होगा
वह बच्चा कितना सुन्दर होगा, जिसके
मस्तिष्क में ज्ञान का भंडार होगा ।।४।।

जग में फैला हुआ अन्धकार
यह, महाज्ञानी से मिट जाए
सब अध्येता भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में
अपनी विध्वत्ता की ज्योत जलाएँ ।।५।।
   
     लालसाब हुस्मान पेंडारी
     उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
     आर. एम. शाह पब्लिक स्कूल
     तालुक:- इंडी   जिला:- बिजापुर  
     कर्नाटक-५८६२०९
     मो. नं:- ९७४३८६७२९८
     इमेल: lalasabpendari@gmail.com

तेरे बिन ये पल

          तेरे बिन ये पल

व तेरे आँखों में, आंसू ना आए कभी।
मुझे तुम सपनों में, याद तो न करना यार।

समाए हो तुम मेरे, दिल की धडकन में।
याद कर कर तेरे, जी रहे हम प्रतिदिन।

तुम जब नहीं रहते, मेरे सभी सपनों में।
तब न हम हम रहते, भूल जाते सभी करम।

हम को ही व हम से, कहीं चुराके ले गए।
वे जा रहे मन से, छोड के य मेरे गली।

तेरे बिन न ये पल, कटे नाहि कट रहे है।
रहे न रह रहे कल, भीना तेरे व आँचल।

व भुला न सकूँगा, य तेरी दूरियों से।
मीठा ना पाऊँगा, तेरे यादों को कभी।

     लालसाब हुस्मान पेंडारी
     उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
     नागरमुन्नोली, ता:- चिक्कोड़ी
     जिला:- बेलगावी, कर्नाटक-५९१२२२.
     मो. नं.:- ९७४३८६७२८७
     ईमेल:- lalasabpendari@gmail.com

मानव जीवन

               मानव जीवन

न जाने कब और कहाँ, चोरी किया था दिल
प्यार में डुबनेवाले, न व है मीठा फल।

दिल चुरानेवाले सब, नहीं होते पागल
प्यार करनेवाले अब, नहीं रहते हर पल।

न समस्या सहनेवाले, न दुःख से जीवन
वह हर तरफ-हर जगह, घूमेगा रात-दिन।

जब साँस लेनेवाले, न व सोचेंगे समय
उनको न चैन मिलेगा, न व पाएँगे विजय।

व दिवग्रह रहनेवाले, आएँगे घर यह
घर में रहनेवाले, जाएँगे व दिवग्रह।

रहनेवाले सहेंगे, जानेवाले नाहि
जितना भी कष्ट क्यों हो, भूखा सोना नाहि।

समझानेवाले कहीं, न होंगे लगातार
अनजाने हम को कभी, न करेंगे गिरफ्तार।

हँसना-रोना नाहि रे, जीवन है अनमोल
गाना-जाना कहीं रे, यहीं रहना हर पल।

     लालसाब हुस्मान पेंडारी
     उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
     नागरमुन्नोली, ता:- चिक्कोड़ी
     जिला:- बेलगावी, कर्नाटक-५९१२२२.
     मो. नं.:- ९७४३८६७२९८
     ईमेल:- lalasabpendari@gmail.com

सात जन्मों की साथी

       सात जन्मों की साथी

पागल व आवारा, तब से यह हो गया है
वह जब से चेहरा, य बेचारा देखा है।

गुजरे व दिन-रातें, तब तेरे ही याद में
दिवानों-सा बातें, अब व करता सपनों में।

तडपता है यह दिल, सदा व  मिलने के लिए
बन गया है मंजिल, व तुझे पाने के लिए।

बन गया अंजाना, तेरी ही अनुराग में
तुझको ही पाना, अभी अपने जीवन में।

है मधु की गंगा, वही अंग-अंग तेरा
अब सपनों में जगा, रातभर नयन मेरा।

जग को भूलता है, यह उसकी हर चाह में
वह चली आती है, हर दिन की व  ख्वाबों में।

यह धडकन मेरा, व तेरी साँसों में है
साथ रहे तेरा, अब यहीं सात जन्म है।

य तितली जैसा मन, तुझे ढूंढने आए
कली जैसा वह तन, अभी नाहि व सुक जाए।

      लालसाब हुस्मान पेंडारी
      उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
      नागरमुन्नोली, ता:- चिक्कोड़ी
      जिला:- बेलगावी                              
      कर्नाटक-५९१२२२.
      मो. नं:- ९७४३८६७२९८
      इमेल: lalasabpendari@gmail.com

जीवन परिचय

            जीवन परिचय

★नाम:- लालसाब हुस्मान पेंडारी

★उपनाम:- कवित्त कर्ममणि

★पिता का नाम:- हुस्मान

★माता का नाम:- ममताज

★जन्म तिथि:- ०१/०६/१९९२

★जन्म स्थान:- नागरमुन्नोली

★वर्तमान/स्थायी पता:- लालसाब हुस्मान पेंडारी
नागरमुन्नोली, ता:- चिक्कोड़ी
जिला:- बेलगावी, कर्नाटक-५९१२२२
ईमेल:- lalasabpendari@gmail.com

★व्हाट्सप नम्बर:- ९७४३८६७२९८

★शिक्षा:- एम. ए. (हिंदी)

★व्यवसाय:- अद्यापक

★प्रकाशन विवरण:- कई हिंदी शोध-लेख, स्वरचित हिंदी और कन्नड़ के कविताएँ ISBN किताब में, मासिक पत्रिका में प्रकाशित हैं।

★सम्मान का विवरण:- अंतराष्ट्रीय, राष्ट्रिय तथा राज्य स्थर पर कई।

★प्रवृत्ति:- पढ़ना, बच्चों के साथ खेलना, बडों के साथ रहना, सृजनशिल रचना करना  आदि।

★साहित्य से लगाव का कारण:- अपना देश, अपनी राष्ट्र भाषा और समाज की उन्नति।

★साहित्य से जुड़े हुए अवधि/लेखन अवधि:- तीन सालो से (२०१४ से)

*घोषणा*:-
                  मैं ये घोषणा करता हूँ की- पुस्तक "सवेरा मासिक-ई पत्रिका" में प्रकाशन हेतु भेजी गयी समस्त रचनाएँ मेरे द्वारा लिखित है तथा जीवन परिचय में दी गई समस्त जानकारी पूर्णतया सत्य है, असत्य पाये जाने कि दशा में हम स्वयं जिम्मेदार होंगे।

              रचनाकार का नाम
           लालसाब हुस्मान पेंडारी
           दिनांक:- १०/०४/२०१७

सात जन्मों की साथी

   सात जन्मों की साथी

चाँद सा चेहरा तेरा
देखा जब से ये बेचारा
हो गया तब से पागल-आवारा

जब देखे मुख पर तेरा ही मुस्कुराहट
करते रहता था दिवानो जैसी बात
तेरे ही यादों में गुजरे दिन-रात

मिलने के लिए तड़पता था दिल
कहना तो हो गया था मुष्किल
तुझ को पाना ही बन गया था मंज़िल

तेरी मोहब्बत में बन गया था अंजाना
मन कहता था तेरे साथ ही जीवन बिताना
तुझ को देखने के लिए करता था कितने बहाना

ख़ामोश दिल से क्या तुझ को पैगाम दूँ
प्यार भरी मिठे यादों को कैसे भुला दूँ
तेरी आँचल के छाया में हर पल गुजार दूँ

अंग-अंग तेरा मधुकलश की गंगा
फ़ूल सा सुंदर रूप तेरा सपनों में जगा देगा
चाँदनी रातों में आँख मेरी तुझको ही देखता होगा

तुझ से मिलने जब भी चला आता था
तेरी चाह में सारे जग को भूल जाता था
पल-बर में स्वर्ग की संतृप्ती प्राप्त करता था

तेरी साँसों में रुक ना जाए धड़कन मेरा
चाहकर भी भूल ना जाए मन तेरा
सात जन्मों तक साथ रहे हमारा

एक बार चला आऊँगा बन के तितली
इन्तजार में सुख ना जाए तेरे मन की कली
उठाले जाऊँगा डोली मैं तेरे ही गली

     लालसाब हुस्मान पेंडारी
     उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
     आर. एम. शहा पब्लिक स्कूल-इंडी
     कर्नाटक
     मोबाइल नं:- 9743867298
     इमेल:- lalasabpendari@gmail.com

आप मेरे दोस्त

   आप मेरे दोस्त

दोस्त है, आप मेरे
साथ नहीं छोडेंगे हम
हम कभी ना हुए उदास
हमेशा रहेंगे उल्लास ।।१।।

जब भी हम मिलते है, तो
होती है, मीठी-मीठी सी बात
वहाँ होगी छोटि सी ठकराहट
ऐसे ही रहेगी हमारी मुलाकात ।।२।।

ना तुम जाने ना हम
ये दुनिया है दोस्ती से कम
दोस्त तो दोस्ती करता है
दुश्मनी तो दुश्मन करता है ।।३।।

हम सब मिल के करते थे विनोद
वहाँ किसिका भी नही था विरोद
चाहे ये दुनिया समझे आवारा, पागल
हम कभिना करेंगे अपने मन को गायल ।।४।।

हमारा साथ कभी ना छुटे
चाहे ये दुनिया ही रूठे
हम धर्ती को स्वर्ग बनायेंगे
दुनिया को उसीमें बसायेंगे ।।५।।

      लालसाब हुस्मान पेंडारी
      उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
      आर. एम. शहा पब्लिक स्कूल-इंडी
      मोबाइल नं:- 9743867298
      इमेल:- lalasabpendari@gmail.com

आप क्यों दलित...?

   आप क्यों दलित...?

क्यों हो आप दलित...?
हो जाओ सब में सम्मिलीत
करते रहो सब से मुलाकात, तो
हो जाएंगे कुछ सुरीली-सी बात ।।१।।

बदलो मत जाति-धर्म
इससे ना बनेंगे अच्छे-कर्म
धरति सकर्मक रही समस्त
जीवन को मत करो व्यर्थ ।।२।।

जहाँ जीना है हम को
सुख-दुःख सहना है वहाँ हम सब को
तो, दलित का उपाधी क्यों आपको...?
रहना है हम-सब मिल को ।।३।।

सुखानुभव युवावस्था में न ढूंढ़ो
बुढापे में भी कर्म पर निरत रहो
जीवन में जीने का मौका ढूंढ़ो
जो है, उसी में सन्तुष्ट हो जावो ।।४।।

हम सब मिलकर चलेंगे
साथ-साथ आगे बढ़ेंगे
अपने मन को स्वर्ग बनायेंगे
उसमें, हम-सब एक-साथ रहेंगे ।।५।।

     लालसाब हुस्मान पेंडारी
     उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
     आर. एम. शहा पब्लिक स्कूल-इंडी
     मोबाइल नं:- 9743867298
     इमेल:- lalasabpendari@gmail.com