शनिवार, 22 जुलाई 2017

मानव जीवन

               मानव जीवन

न जाने कब और कहाँ, चोरी किया था दिल
प्यार में डुबनेवाले, न व है मीठा फल।

दिल चुरानेवाले सब, नहीं होते पागल
प्यार करनेवाले अब, नहीं रहते हर पल।

न समस्या सहनेवाले, न दुःख से जीवन
वह हर तरफ-हर जगह, घूमेगा रात-दिन।

जब साँस लेनेवाले, न व सोचेंगे समय
उनको न चैन मिलेगा, न व पाएँगे विजय।

व दिवग्रह रहनेवाले, आएँगे घर यह
घर में रहनेवाले, जाएँगे व दिवग्रह।

रहनेवाले सहेंगे, जानेवाले नाहि
जितना भी कष्ट क्यों हो, भूखा सोना नाहि।

समझानेवाले कहीं, न होंगे लगातार
अनजाने हम को कभी, न करेंगे गिरफ्तार।

हँसना-रोना नाहि रे, जीवन है अनमोल
गाना-जाना कहीं रे, यहीं रहना हर पल।

     लालसाब हुस्मान पेंडारी
     उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
     नागरमुन्नोली, ता:- चिक्कोड़ी
     जिला:- बेलगावी, कर्नाटक-५९१२२२.
     मो. नं.:- ९७४३८६७२९८
     ईमेल:- lalasabpendari@gmail.com

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