शनिवार, 22 जुलाई 2017

सात जन्मों की साथी

   सात जन्मों की साथी

चाँद सा चेहरा तेरा
देखा जब से ये बेचारा
हो गया तब से पागल-आवारा

जब देखे मुख पर तेरा ही मुस्कुराहट
करते रहता था दिवानो जैसी बात
तेरे ही यादों में गुजरे दिन-रात

मिलने के लिए तड़पता था दिल
कहना तो हो गया था मुष्किल
तुझ को पाना ही बन गया था मंज़िल

तेरी मोहब्बत में बन गया था अंजाना
मन कहता था तेरे साथ ही जीवन बिताना
तुझ को देखने के लिए करता था कितने बहाना

ख़ामोश दिल से क्या तुझ को पैगाम दूँ
प्यार भरी मिठे यादों को कैसे भुला दूँ
तेरी आँचल के छाया में हर पल गुजार दूँ

अंग-अंग तेरा मधुकलश की गंगा
फ़ूल सा सुंदर रूप तेरा सपनों में जगा देगा
चाँदनी रातों में आँख मेरी तुझको ही देखता होगा

तुझ से मिलने जब भी चला आता था
तेरी चाह में सारे जग को भूल जाता था
पल-बर में स्वर्ग की संतृप्ती प्राप्त करता था

तेरी साँसों में रुक ना जाए धड़कन मेरा
चाहकर भी भूल ना जाए मन तेरा
सात जन्मों तक साथ रहे हमारा

एक बार चला आऊँगा बन के तितली
इन्तजार में सुख ना जाए तेरे मन की कली
उठाले जाऊँगा डोली मैं तेरे ही गली

     लालसाब हुस्मान पेंडारी
     उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
     आर. एम. शहा पब्लिक स्कूल-इंडी
     कर्नाटक
     मोबाइल नं:- 9743867298
     इमेल:- lalasabpendari@gmail.com

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]

<< मुख्यपृष्ठ