अंधेरा मन
अंधेरा मन
मैंने इस दुनिया में जो पाया था
वह सब कुछ खो दिया
लगता है, भगवान ने जो दिया था
सिर्फ वहीं एक बाकि रह गया ।।१।।
लेकिन वह भी आज धीरे-धीरे चला जा रहा है
किसीने मेरे मोहब्बत भरें मन को चुराया
तो, किसने मेरे दौलत भरें ईमान को
कोई चाहता है, तो वही कोई ठुकराता है ।।२।।
यहाँ आँसुओं का भी कर्ज चुकाना पड़ता है
धड़कन को भी किसी के हवाले करना पड़ता है
मन करता है, यहीं पे गिर के कह दूँ भगवान से
लेकिन मेरी जान किसी और की शान बन गई है ।।३।।
पाना है मुझको यहाँ जो कुछ
खो दिया था वह सब कुछ
लेकिन क्या करूँ अब ना मेरी जुबान कुछ
कहती है, ना ही हासिल करती है और कुछ ।।४।।
आँख जिधर मुड़ती है उधर मन
ना कुछ दिखता, ना ही कुछ हाथ लगता
चलता रहता-चलता रहता जो कुछ जहाँ खोया
सब कुछ वहाँ पाने के लिए ।।५।।
लालसाब हुस्मान पेंडारी
उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
नागरमुन्नोली, ता:- चिक्कोड़ी
जिला:- बेलगावी, कर्नाटक-५९१२२२.
मो. नं.:- ९७४३८६७२८७
ईमेल:- lalasabpendari@gmail.com
मैंने इस दुनिया में जो पाया था
वह सब कुछ खो दिया
लगता है, भगवान ने जो दिया था
सिर्फ वहीं एक बाकि रह गया ।।१।।
लेकिन वह भी आज धीरे-धीरे चला जा रहा है
किसीने मेरे मोहब्बत भरें मन को चुराया
तो, किसने मेरे दौलत भरें ईमान को
कोई चाहता है, तो वही कोई ठुकराता है ।।२।।
यहाँ आँसुओं का भी कर्ज चुकाना पड़ता है
धड़कन को भी किसी के हवाले करना पड़ता है
मन करता है, यहीं पे गिर के कह दूँ भगवान से
लेकिन मेरी जान किसी और की शान बन गई है ।।३।।
पाना है मुझको यहाँ जो कुछ
खो दिया था वह सब कुछ
लेकिन क्या करूँ अब ना मेरी जुबान कुछ
कहती है, ना ही हासिल करती है और कुछ ।।४।।
आँख जिधर मुड़ती है उधर मन
ना कुछ दिखता, ना ही कुछ हाथ लगता
चलता रहता-चलता रहता जो कुछ जहाँ खोया
सब कुछ वहाँ पाने के लिए ।।५।।
लालसाब हुस्मान पेंडारी
उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
नागरमुन्नोली, ता:- चिक्कोड़ी
जिला:- बेलगावी, कर्नाटक-५९१२२२.
मो. नं.:- ९७४३८६७२८७
ईमेल:- lalasabpendari@gmail.com
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ