शनिवार, 22 जुलाई 2017

मेरा देश मेरा कोष

       मेरा देश मेरा कोष

है मेरा देश मेरा कोष

बहुत ही अजूबा उसका वेश
महात्माओं से जवान हुआ मेरा देश

अब सब में हो जाता है समावेश ।।१।।

सब को सुनाता धर्मोपदेश

कभी किसीको न करता परदेश
वह सदैव भेजता शुभ सन्देश

है स्वदेश-मेरा सत्योपदेश ।।२।।

कभी न माँगता वह लाभांश

सदा व चाहता उत्तमांश
न व रहने देता खामोश

सदा कहता रहो संयोगवश ।।३।।

कितना मनमोहक है उसका प्रकाश

उतना ही खुबसुरत है पृथ्वी की स्पर्श
कभी न व किया किसिका सत्यानाश

सदैव दिलचस्प है उसके आदर्श ।।४।।

चलते रहता वह प्रसंगवश

आज-कल बहुत पालिया यश पे यश
कितने प्यारे है उसके उद्धेश भरित आदेश

 हमेशा खुश रहेगा, मेरा देश मेरा कोष ।।५।।


     लालसाब हुस्मान पेंडारी

     उपनाम:- कवित्त कर्ममणि
     नागरमुन्नोली, ता:- चिक्कोड़ी

     जिला:- बेलगावी, कर्नाटक-५९१२२२.
     मो. नं.:- ९७४३८६७२८७

     ईमेल:- lalasabpendari@gmail.com

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