मेरा देश मेरा कोष
मेरा देश मेरा कोषहै मेरा देश मेरा कोषबहुत ही अजूबा उसका वेशमहात्माओं से जवान हुआ मेरा देशअब सब में हो जाता है समावेश ।।१।।सब को सुनाता धर्मोपदेशकभी किसीको न करता परदेशवह सदैव भेजता शुभ सन्देशहै स्वदेश-मेरा सत्योपदेश ।।२।।कभी न माँगता वह लाभांशसदा व चाहता उत्तमांशन व रहने देता खामोशसदा कहता रहो संयोगवश ।।३।।कितना मनमोहक है उसका प्रकाशउतना ही खुबसुरत है पृथ्वी की स्पर्शकभी न व किया किसिका सत्यानाशसदैव दिलचस्प है उसके आदर्श ।।४।।चलते रहता वह प्रसंगवशआज-कल बहुत पालिया यश पे यशकितने प्यारे है उसके उद्धेश भरित आदेशहमेशा खुश रहेगा, मेरा देश मेरा कोष ।।५।।लालसाब हुस्मान पेंडारीउपनाम:- कवित्त कर्ममणिनागरमुन्नोली, ता:- चिक्कोड़ीजिला:- बेलगावी, कर्नाटक-५९१२२२.मो. नं.:- ९७४३८६७२८७ईमेल:- lalasabpendari@gmail.com
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ