मेरी प्रिय कविता
मेरी प्रिय कविता
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दो शब्दों को जोडा
तुम्हारा नाम निकल आया
एक छोटी कविता बन गई
मेरी प्रिय कविता।
रोज़ पढ़ता हूं तुम्हें
रोज़ पढ़ना चाहता हूं तुम्हें
एक छोटी सी कविता बन गई
मेरी प्रिय कविता।
टूटें संगीत में कभी
तुम्हारा नाम को जोड़ देता हूं
एक छोटी सी कविता बन गई
मेरी प्रिय कविता।
तुक बंदी गाने में बदल जाती है
दो शब्दों का गाना
एक छोटी सी कविता बन गई
मेरी प्रिय कविता।
मेरी प्रिय गाना
रोज़ गाता हूं तुम्हें
रोज़ गाना चाहता हूं तुम्हें
एक छोटी सी कविता बन गई
मेरी प्रिय कविता।
डा राजेश्वरी बसवराज मेदार, कर्नाटक।
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