नमस्तस्यै
जगत जननी -
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या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै .... नमस्तस्यै.... नमस्तस्यै नमो नमः।
सर्व मंगल मांगल्य
शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्य त्र्यंबके गौरी
नारायणी नमोस्तुते।
या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै.... नमस्तस्यै.... नमस्तस्यै नमो नमः ।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी
नमो नमो जननी जगत धात्री
नमो नमो भगवती विश्व रक्षिणी।
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै नमो नमः।
अधर्म का नाश कर
धर्म की तू रक्षा कर
भक्तों के सुन पुकार
जीवन में आनंद का भर दें भंडार।
या देवी सर्वभूतेषु मां लक्ष्मी रूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै.... नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै नमो नमः
न-नई चेतना देनेवाली
व- भक्तों को वरदान देनेवाली
रा-मां जो दिन रात भक्तों के लिए
तैयार रहतीं हैं
त्रि- त्रिकाल की रक्षा करने वाली
या देवी सर्वभूतेषु भक्ति रूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै नमो नमः
हर्षोल्लास का उत्सव है, नवरात्रि
चेतना का स्वरूप है, नवरात्रि
भक्तों का आनंद है, नवरात्रि
धन सुख संपत्ति का खजाना है, नवरात्रि।
डा राजेश्वरी बसवराज मेदार, कर्नाटक।
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