शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024

नमस्तस्यै

जगत जननी -
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या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै .... नमस्तस्यै.... नमस्तस्यै नमो नमः।

सर्व मंगल मांगल्य 
शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्य त्र्यंबके गौरी 
नारायणी नमोस्तुते।

या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै.... नमस्तस्यै.... नमस्तस्यै नमो नमः ।


नमो नमो दुर्गे सुख करनी 
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी 
नमो नमो जननी जगत धात्री 
नमो नमो भगवती विश्व रक्षिणी।


या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै नमो नमः।

अधर्म का नाश कर
धर्म की तू रक्षा कर
भक्तों के सुन पुकार 
 जीवन में आनंद का भर दें भंडार।


या देवी सर्वभूतेषु मां लक्ष्मी रूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै.... नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै नमो नमः 


न-न‌ई चेतना देनेवाली
व- भक्तों को वरदान देनेवाली 
रा-मां जो दिन रात भक्तों के लिए 
       तैयार रहतीं हैं 
त्रि- त्रिकाल की रक्षा करने वाली 


या देवी सर्वभूतेषु  भक्ति रूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै नमो नमः 


हर्षोल्लास का उत्सव है, नवरात्रि 
चेतना का स्वरूप है, नवरात्रि 
भक्तों का आनंद है, नवरात्रि 
धन सुख संपत्ति का खजाना है, नवरात्रि।

डा राजेश्वरी बसवराज मेदार, कर्नाटक।

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