सोमवार, 14 अक्टूबर 2024

हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी महान है -

हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी महान है 
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भारत की शान है, हिंदी भाषा 
हर भारतीय दिलों का अरमान है, हिंदी भाषा 
हर भारतीयों की पहचान है, हिंदी भाषा
हर भारतीयों की माता है, हिंदी भाषा।

एकता की अनुपम परंपरा है, हिंदी भाषा 
संस्कृत की सहेली बनकर खिला है, हिंदी भाषा 
भारत मां के माथे की बिंदी है, हिंदी भाषा 
कवियों का अभिमान है, हिंदी भाषा।

तुलसी का यह तुलसीदल है, हिंदी भाषा 
मीरा की प्रेम दीवानी है, हिंदी भाषा 
सूरदास की चेतना है, हिंदी भाषा 
कबीर की कोमल वाणी है, हिंदी भाषा।

जीवन का आधार है, हिंदी भाषा 
शब्द,वाक्य, लिपियों की संगम है, हिंदी भाषा 
सभी भाषाओं से भी प्यारी है, हिंदी भाषा 
अनुपम हीरा है, हिंदी भाषा।

डॉ. राजेश्वरी बसवराज मेदार 
हुबली, कर्नाटक।

मेरी प्रिय कविता

मेरी प्रिय कविता
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दो शब्दों को जोडा 
तुम्हारा नाम निकल आया 
एक छोटी कविता बन गई 
मेरी प्रिय कविता।


रोज़ पढ़ता हूं तुम्हें 
रोज़ पढ़ना चाहता हूं तुम्हें 
एक छोटी सी कविता बन गई 
मेरी प्रिय कविता।


टूटें संगीत में कभी 
तुम्हारा नाम को जोड़ देता हूं 
एक छोटी सी कविता बन गई 
मेरी प्रिय कविता।


तुक बंदी गाने में बदल जाती है 
दो शब्दों का गाना 
एक छोटी सी कविता बन गई 
मेरी प्रिय कविता।


मेरी प्रिय गाना 
रोज़ गाता हूं तुम्हें 
रोज़ गाना चाहता हूं तुम्हें 
एक छोटी सी कविता बन गई 
मेरी प्रिय कविता।


डा राजेश्वरी बसवराज मेदार, कर्नाटक।

शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2024

नमस्तस्यै

जगत जननी -
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या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै .... नमस्तस्यै.... नमस्तस्यै नमो नमः।

सर्व मंगल मांगल्य 
शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्य त्र्यंबके गौरी 
नारायणी नमोस्तुते।

या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै.... नमस्तस्यै.... नमस्तस्यै नमो नमः ।


नमो नमो दुर्गे सुख करनी 
नमो नमो अम्बे दुःख हरनी 
नमो नमो जननी जगत धात्री 
नमो नमो भगवती विश्व रक्षिणी।


या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै नमो नमः।

अधर्म का नाश कर
धर्म की तू रक्षा कर
भक्तों के सुन पुकार 
 जीवन में आनंद का भर दें भंडार।


या देवी सर्वभूतेषु मां लक्ष्मी रूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै.... नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै नमो नमः 


न-न‌ई चेतना देनेवाली
व- भक्तों को वरदान देनेवाली 
रा-मां जो दिन रात भक्तों के लिए 
       तैयार रहतीं हैं 
त्रि- त्रिकाल की रक्षा करने वाली 


या देवी सर्वभूतेषु  भक्ति रूपेण संस्थिता:
नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै..... नमस्तस्यै नमो नमः 


हर्षोल्लास का उत्सव है, नवरात्रि 
चेतना का स्वरूप है, नवरात्रि 
भक्तों का आनंद है, नवरात्रि 
धन सुख संपत्ति का खजाना है, नवरात्रि।

डा राजेश्वरी बसवराज मेदार, कर्नाटक।

अटल रतन

🌹अटल रतन🌹
भारत मां के दो अनमोल रतन।
 एक थे अटल दूजा थे रतन।
दोनों ही थे सर्व परित्यागी ब्रह्मचारण।।

अटलजी थे सरस्वती पुत्र।
अपनी कविवाणी से विरोधियोंको भी हसाया।
मन्दस्मित मुस्कान से सबके दिल में राज किया ।
राजकिय क्षेत्र में अतिरथ का नाम कमाया।।
          (भारत मां के दो)
रतनजी थे लक्ष्मी पुत्र।
अपनी शांत स्वभाव से सभिको प्रेरित
हजारों कंपनी खड़ा करने का प्रणेता
देश को अपनी संपत्ति निछावर कर दिया।
औद्योगिक क्षेत्रके महारत का नाम कमाया।।
         (भारत मां के दो)
दोनों वीर सपूत थे अजात शत्रु।
दोनों ही थे सबके परम मित्र।
दोनों ने सपना एक ही देखा।
भारत की गरीबी को  हटाना सीखा।
जगत में भारत की औधा बढ़ाया।
सच्चे देशभक्त कहलाया।।
          (भारत मां के दो)
 दोनों है हिंदुस्तान की शान।
 ऊंचा रखा देश की मान।
अटल रतन देश की असली पहचान।
एक चांद है तो दूजा सूरज।
तन से दूर होगे तो क्या  हमारे दिल में अमर रहेंगे।
मेरा तहे दिलसे आपको शत शत नमन।।
            (भारत मां के दो)
दोनों धन संपत्ति त्यागकर सादगी जीवन अपनाया।
लाखों लोगोंकी आशा किरण  बन के जीनेकी उम्मीद जगाया।
भारत को भारत रखनेकी कोशिश किया।
अटल रतन ऐक ही सिक्के के दो पहलू भारत मां के असली हीरो कहलाया।।
          (भारत मां के दो)
               ❤️❤️
सुजाता राजकुमार चौगुले
मांजरी

बुधवार, 9 अक्टूबर 2024

शिक्षक दिवस के महत्व

शिक्षक दिवस के महत्व -
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भारत में प्राचीन काल से ही गुरु - शिष्य की परंपरा का बहुत अधिक महत्व रहा है। हमारी संस्कृति के निर्माण में गुरु -शिष्य परंपरा का बहुत अधिक योगदान है।मानव के जीवन निर्माण के सभी स्तंभों में शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है।

इसलिए ही कहा जाता है कि -

गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वर:।
गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

शिक्षक अपने शिष्य के जीवन के साथ -साथ उसके चरित्र निर्माण में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कहा जाता है कि इंसान की सबसे पहली गुरु उसकी मां होती है, जो अपने बच्चों को जीवन प्रदान करने के साथ -साथ जीवन के आधार का ज्ञान भी देती है। इसके बाद अन्य शिक्षकों का स्थान होता है। किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण करना बहुत ही विशाल और कठिन कार्य है। व्यक्ति को शिक्षा प्रदान करने के साथ -साथ उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करना उसी प्रकार का कार्य है, जैसे "कोई कुम्हार मिट्टी से बर्तन बनाने का कार्य करता है।इसी प्रकार शिक्षक अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के साथ -साथ उसके व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं।" 
इसलिए ही कबीर कहते हैं -

गुरु कुम्हार शिष कुंभ है,गढि-गढि काढै खोट।
अन्तर हाथ सहार दै, बाहर बाहै चोट।।

इस दोहे का अर्थ यह है कि शिक्षक उस कुम्हार की तरह है जो अपने छात्र रूपी घड़े की कमियों को दूर करने के लिए भीतर से हाथ का सहारा देकर बाहर से चोट करता है। ठीक इसी तरह शिक्षक भी कभी -कभी छात्रों पर क्रोध करके भी छात्रों का चरित्र का निर्माण करते है तथा छात्रों को बेहतर मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

कबीरदास यह कहते है कि -

"सब धरती कागज़ करूं,लिखनी सब बनराय।
सात समुद्र की मसि करूं, गुरु गुण लिखा न जाय ।।"

इसका अर्थ यह है कि यदि सम्पूर्ण पृथ्वी को कागज़ के रूप में परिवर्तित कर दिया जाए, साथ ही सातों समुद्र की स्याही बना ली जाए और क्यों न सभी जंगलों की कलम भी बना ली जाए, लेकिन इसके बावजूद भी शिक्षक की महिमा का संपूर्ण गुणगान किया जा सके,यह मुमकिन नहीं है।


शिक्षक दिवस का इतिहास -
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शिक्षक दिवस का आरंभ 1962 में डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में हुआ था।एक बार उनके छात्रों और मित्रों ने उनसे उनकी जयंती मनाने की इच्छा व्यक्त की।डा सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने विनम्रता से उतर दिया कि उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए, ताकि सभी शिक्षकों को सम्मानित किया जा सके। इस प्रकार 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की परंपरा आरंभ हुई।

शिक्षक दिवस का महत्व -
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शिक्षक दिवस केवल एक सामान्य उत्सव नहीं है, बल्कि यह शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करने का एक विशेष अवसर है। यह दिन शिक्षकों के अद्वितीय योगदान को सराहने का होता है, जिन्होंने समाज को दिशा दी और अनेक पीढ़ियों को शिक्षित किया। इस दिन स्कूल, कालेज और अन्य शैक्षिक संस्थान विशेष कार्यक्रम आयोजित करते हैं, जहां छात्र अपने शिक्षकों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं।

"गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय।।"

शिक्षकों का महत्व हमारे जीवन में बहुत अधिक है।वे हमारे जीवन को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शिक्षक हमें सही और ग़लत के बीच का अंतर सिखाते हैं,जो हमें जीवन में सही रास्ते पर चलने में मदद करता है। वे हमें भविष्य के लिए तैयार करते हैं जिससे हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।वे हमें अपने जीवन को सुधारने में मदद करते हैं और हमें एक अच्छा इंसान बनाते हैं।

शिक्षक दिवस हमारे जीवन में शिक्षकों के योगदान को सराहने और उनका सम्मान करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। शिक्षक समाज के स्तंभ होते हैं,जो आनेवाली पीढ़ियों को ज्ञान और नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं। शिक्षक दिवस हमें याद दिलाता है कि हमें अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और उनके योगदान को कभी नहीं भूलना चाहिए।

शिक्षा की इस यात्रा में शिक्षक ही वे दीपक हैं जो हमें अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान की रोशनी में ले जाते है। शिक्षक दिवस न केवल शिक्षकों को सम्मानित करने का दिन है, बल्कि यह हमें उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी एक अवसर प्रदान करता है। इस दिन हम सभी को अपने शिक्षकों को उनके अथक प्रयासों के लिए धन्यवाद कहना चाहिए और उनके द्वारा दी गई सीख को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

शिक्षक दिवस हमें यह सिखाता है कि एक शिक्षक का जीवन में क्या महत्व होता है और हमें उनके प्रति हमेशा कृतज्ञ रहना चाहिए।

डॉराजेश्वरी बसवराज मेदार 
हिंदी विषय शिक्षिका 
कर्नाटक।

गुरुवार, 10 अगस्त 2017

स्वतंत्रता दिवस पर हिंदी भाषण

स्वतंत्रता दिवस पर हिंदी भाषण
                   “70 साल बाद भारत”
मंच पर उपस्थित आदरणीय अध्यक्ष महोदय, अतिथि महोदय, प्राचार्याजी आप सभी को मेरा सादर प्रणाम एवं मंचोन्मुख उपस्थित मेरे प्रिय अध्यापक गण और मेरे प्यारे भाइयों, बहनों, और सहपाठी मित्रों आप सभी को  71वाँ स्वतन्त्र शुभोदय की शुभकामनाएँ हो।

आज मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि- देश आजादी की 71वाँ  वर्षगांठ मना रहा है। इस पावन बेला पर मैं पुरे देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ देना चाहता हूँ। इक्कीसवीं शताब्दी में भारत की गिनती विश्व के अधिकतम प्रगतिशील देशो में होती है  अगर हम नज़र डालें तो हम भारत के चहुँदिशि विकास को महसूस कर सकते हैं भारत का सबसे ज्यादा विकास सूचना एवं प्रौद्योगिकी (Information Technology) क्षेत्र में हुआ है US, UK, Russia जैसे देश भारत के बढ़ते अस्तित्व को स्वीकार कर रहे हैं एवं पूरा विश्व भारत को भविष्य के अत्यंत शक्तिशाली देशों में एक देखता है

भारत ने विज्ञान के अन्य विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है। भारत ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी आश्चर्यजनक प्रगति की है। परमाणु ऊर्जा का मुख्यतः उपयोग कृषि और चिकित्सा जैसे शांतिपूर्ण कार्यों के लिए किया जा रहा है। भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आश्चर्यजनक प्रगति की है। परम 10,000 सुपर कंप्यूटर बनाकर हम इस क्षेत्र में अग्रणी देशों की पंक्ति में गए हैं। हम अब सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित उपकरणों का निर्यात विकसित देशों को भी कर रहे हैं। भारत के सूचना प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षित इंजीनियरों की अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान जैसे विकसित देशों में भारी माँग है।

लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने फिर देश को सम्बोधित किया। देश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर संदेह नही है। लेकिन आज मेरे कुछ सवाल नीति निर्माताओं से है। ऐसा क्यों है कि आजादी के 70 सालों बाद भी देश की आबादी का एक बडा हिस्सा आज भी गरीब है? एक तिहाई आबादी को दो समय की रोटी नसीब नहीं। मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है। देश का एक बड़ा तबका शिक्षा, स्वास्थ, पानी, बिजली, सड़क और आवास से आज भी क्यों वंचित है? क्या नीति निर्माताओं के पास इसका कोई जवाब है। ये कैसी आज़ादी। हम किस आज़ादी का जश्न मना रहे।

ये क्या महान देशभक्त सेनानियों का अपमान नही। क्या इसी दिन के लिए उन्होने कुर्बानी दी थी। आजाद भारत की उनकी कल्पना का ये मखौल है। देश में 30 करोड जनता आज भी गरीब है। 40 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र से आते है। 77 फीसदी आबादी की दिन में औसतन कमाई 20 रूपये है। 41 फीसदी किसान विकल्प मिलने पर किसानी छोडना चाहते है। पिछले कुछ सालों में 3 लाख से ज्यादा किसान हालात से हार मानकर आत्महत्या कर चुके है। 42 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं तो 69 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है। एक करोड़ से अधिक बच्चे बाल मज़दूरी को विवश हैं।

बेरोजगारी चरम पर है। आबादी के बडे हिस्से के पास पीने का साफ पानी नही है। भ्रष्टाचार ने पूरे देश को अपनी गिरफ़्त में ले रखा है। महंगाई आम आदमी के थाली से निवाला छीन रही है। आतंकवाद, नक्सलवाद और उग्रवाद आज भी आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है। फिर भी आजादी का जश्न। विकास का फायदा हर व्यक्ति तक पहुचाने का वादा। मगर ये फायदा कैसे पहुंचेगा इस पर क्यों नहीं दिखता कोई फौलादी इरादा।

 मगर मुल्क की तस्वीर तभी बदलेगी जब हम बदलेंगे। अधिकारों के लिए चिल्लाने के बजाय जिम्मेदारी से काम करेंगे। देश के हालत सरकारें नही बदलती? जनता बदलती है। देश स्मार्ट तब बनता है जब जनता स्मार्ट होती है। इसलिए हम सब को देश के विकास के यज्ञ में आहूति देनी होगी। कवि की इन पंक्तियों के साथ मैं अपनी छोटी-सी भाषण को विराम देता हूँ।

गहरा जाता है अंधेरा, हर रात निगल जाती एक सुनहरा सवेरा।
फिर भी मुझे सृजन पर विश्वास है, एक नई सुबह की मुझे तलाश है।

भार के स्वतंत्र देशवासियों को मेरा नमन
                                                जयहिंद जय भारत

              लालसाब हुस्मान पेंडारी
                  बेलगावी-कर्नाटक

                    9743867298