गुरुवार, 10 अगस्त 2017

स्वतंत्रता दिवस पर हिंदी भाषण

स्वतंत्रता दिवस पर हिंदी भाषण
                   “70 साल बाद भारत”
मंच पर उपस्थित आदरणीय अध्यक्ष महोदय, अतिथि महोदय, प्राचार्याजी आप सभी को मेरा सादर प्रणाम एवं मंचोन्मुख उपस्थित मेरे प्रिय अध्यापक गण और मेरे प्यारे भाइयों, बहनों, और सहपाठी मित्रों आप सभी को  71वाँ स्वतन्त्र शुभोदय की शुभकामनाएँ हो।

आज मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि- देश आजादी की 71वाँ  वर्षगांठ मना रहा है। इस पावन बेला पर मैं पुरे देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएँ देना चाहता हूँ। इक्कीसवीं शताब्दी में भारत की गिनती विश्व के अधिकतम प्रगतिशील देशो में होती है  अगर हम नज़र डालें तो हम भारत के चहुँदिशि विकास को महसूस कर सकते हैं भारत का सबसे ज्यादा विकास सूचना एवं प्रौद्योगिकी (Information Technology) क्षेत्र में हुआ है US, UK, Russia जैसे देश भारत के बढ़ते अस्तित्व को स्वीकार कर रहे हैं एवं पूरा विश्व भारत को भविष्य के अत्यंत शक्तिशाली देशों में एक देखता है

भारत ने विज्ञान के अन्य विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है। भारत ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी आश्चर्यजनक प्रगति की है। परमाणु ऊर्जा का मुख्यतः उपयोग कृषि और चिकित्सा जैसे शांतिपूर्ण कार्यों के लिए किया जा रहा है। भारत ने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आश्चर्यजनक प्रगति की है। परम 10,000 सुपर कंप्यूटर बनाकर हम इस क्षेत्र में अग्रणी देशों की पंक्ति में गए हैं। हम अब सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित उपकरणों का निर्यात विकसित देशों को भी कर रहे हैं। भारत के सूचना प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षित इंजीनियरों की अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान जैसे विकसित देशों में भारी माँग है।

लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने फिर देश को सम्बोधित किया। देश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर संदेह नही है। लेकिन आज मेरे कुछ सवाल नीति निर्माताओं से है। ऐसा क्यों है कि आजादी के 70 सालों बाद भी देश की आबादी का एक बडा हिस्सा आज भी गरीब है? एक तिहाई आबादी को दो समय की रोटी नसीब नहीं। मूलभूत सुविधाओं की घोर कमी है। देश का एक बड़ा तबका शिक्षा, स्वास्थ, पानी, बिजली, सड़क और आवास से आज भी क्यों वंचित है? क्या नीति निर्माताओं के पास इसका कोई जवाब है। ये कैसी आज़ादी। हम किस आज़ादी का जश्न मना रहे।

ये क्या महान देशभक्त सेनानियों का अपमान नही। क्या इसी दिन के लिए उन्होने कुर्बानी दी थी। आजाद भारत की उनकी कल्पना का ये मखौल है। देश में 30 करोड जनता आज भी गरीब है। 40 करोड़ लोग असंगठित क्षेत्र से आते है। 77 फीसदी आबादी की दिन में औसतन कमाई 20 रूपये है। 41 फीसदी किसान विकल्प मिलने पर किसानी छोडना चाहते है। पिछले कुछ सालों में 3 लाख से ज्यादा किसान हालात से हार मानकर आत्महत्या कर चुके है। 42 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं तो 69 फीसदी महिलाओं में खून की कमी है। एक करोड़ से अधिक बच्चे बाल मज़दूरी को विवश हैं।

बेरोजगारी चरम पर है। आबादी के बडे हिस्से के पास पीने का साफ पानी नही है। भ्रष्टाचार ने पूरे देश को अपनी गिरफ़्त में ले रखा है। महंगाई आम आदमी के थाली से निवाला छीन रही है। आतंकवाद, नक्सलवाद और उग्रवाद आज भी आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा है। फिर भी आजादी का जश्न। विकास का फायदा हर व्यक्ति तक पहुचाने का वादा। मगर ये फायदा कैसे पहुंचेगा इस पर क्यों नहीं दिखता कोई फौलादी इरादा।

 मगर मुल्क की तस्वीर तभी बदलेगी जब हम बदलेंगे। अधिकारों के लिए चिल्लाने के बजाय जिम्मेदारी से काम करेंगे। देश के हालत सरकारें नही बदलती? जनता बदलती है। देश स्मार्ट तब बनता है जब जनता स्मार्ट होती है। इसलिए हम सब को देश के विकास के यज्ञ में आहूति देनी होगी। कवि की इन पंक्तियों के साथ मैं अपनी छोटी-सी भाषण को विराम देता हूँ।

गहरा जाता है अंधेरा, हर रात निगल जाती एक सुनहरा सवेरा।
फिर भी मुझे सृजन पर विश्वास है, एक नई सुबह की मुझे तलाश है।

भार के स्वतंत्र देशवासियों को मेरा नमन
                                                जयहिंद जय भारत

              लालसाब हुस्मान पेंडारी
                  बेलगावी-कर्नाटक

                    9743867298